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गुरुवार, 21 नवंबर 2019

कहना तो बहुत कुछ चाहता हूं…

दुश्मन भी पेश आए हैं दिलदार की तरह…



दुश्मन भी पेश आए हैं दिलदार की तरह…
नफरत मिली है उनसे मुझे प्यार की तरह…

कैसे मिलेंगे चाहने वाले बताईये…
दुनिया खड़ी है राह में दीवार की तरह…

वो बेवफ़ाई करके भी शर्मिंदा ना हुए…
सूली पे हम चढ़े हैं गुनहगार की तरह…

तूफ़ान में मुझ को छोड़ कर वो लोग चल दिए…
साहिल पर थे जो साथ में पतवार की तरह…

चेहरे पर हादसों ने लिखीं वो इबारतें…
पढ़ने लगा हर कोई मुझे अख़बार की तरह…

दुश्मन भी हो गए हैं मसीहा सिफ़त "सचिन"
मिलते हैं टूट कर वो गले यार की तरह।

💔 💔 💔 💔 💔 💔 💔 💔 💔 💔

कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी चैन से जीने की सूरत ना हुई…
जिसको चाहा उसे अपना ना सके जो मिला उससे मुहब्बत ना हुई…

जिससे जब तक मिले दिल ही से मिले दिल…
जो बदला तो फसाना बदला…
रस्में दुनिया की निभाने के लिए हमसे रिश्तों की तिज़ारत ना हुई…

दूर से था वो कई चेहरों में पास से कोई भी वैसा ना लगा…
बेवफ़ाई भी उसी का था चलन फिर किसीसे भी शिकायत ना हुई…

वक्त रूठा रहा बच्चे की तरह राह में कोई खिलौना ना मिला…
दोस्ती भी तो निभाई ना गई दुश्मनी में भी अदावत ना हुई।💔🙏