करू प्यार मैं भी,करो प्यार तुम भी।
मिलनसार मैं भी,मिलनसार तुम भी।।
मुहब्बत किसी की,न कम है न ज्यादा,
बराबर मेरे साथ हकदार तुम भी।
लगी आस मिलने की दिल में बराबर,
न मैं ही अकेले, तलबगार तुम भी।
मुझी पर लगाते रहे जुल्म सारे,
नहीं सिर्फ मैं ही, गुनहगार तुम भी।
चलो हम मनाते तुम्ही मान जाओ,
न करना कभी अब तो तकरार तुम भी।
चलेगी न जीवन की नैया अकेले,
मददगार मैं भी, मददगार तुम भी।
खता मानने हम न तैयार दोनो,
समझदार मैं भी,समझदार तुम भी।
सजा के लिये सामने कौन होगा,
खतावार मैं भी,खतावार तुम भी।
न हैं "सचिन" कमजोर इक दूसरे से,
असरदार मैं भी, असरदार तुम भी।"