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मंगलवार, 10 अक्तूबर 2017

📕 मुझें क़िताब📖 बनाया होता।📕

काश बनाने वाले ने मुझें क़िताब बनाया होता…
वो पढ़ते पढ़ते सो जाती, मुझें सीने से लगाया होता…!!

मैं उसके ग़म में रोता और रोता ही जाता…
उसने चुपके से मुझे सीने से लगाया होता…!!

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ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी

उसको दास्तान सुना के थक सा गया…
काश उसने भी मुझें हाल-ए-दिल सुनाया होता…!!

मैं उस का नाम लेता और सुबह-शाम लेता…
है अफ़सोस उसने मुझे एक बार तो बुलाया होता…!!

मैं उस की खातिर तड़फता रहा शाम-ओ-शहर…
आराम ना होता गर उस ने एक आँसू ही बहाया होता…!!