हाथ पर हाथ रखा उसने तो मालूम हुआ ,
अनकही बात को किस तरह सुना जाता है !
हम तेरी आरज़ू पे जीते हैं,
ये नहीं है तो ज़िंदगी नही..!!
क्यूँ न इतराऊँ खुद पर मैं..!!
तेरी हर पसंद पे नाज़ जो है मुझे..!!
मेरा हक़ नहीं हैं तुम पर ये जानता हूँ मैं ..!!
फिर भी ना जानें क्यूं दुआओं में तुझको माँगता हूँ मैं..!!
ना जाने क्यों वो हमसे मुस्कुरा के मिलते हैं, अन्दर के सारे गम छुपा के मिलते हैं, जानते हैं आँखे सच बोल जाती हैं, शायद इसी लिए वो नज़र झुका के मिलतें हैं।
धडकनों को काबू में कर ऐ दिल..!!
अभी तो पलकें झुकाई है, मुस्कुराना अभी बाकी है..!!
घमंङ तो मुझें अपने दिल और दिमाग दोनो पर है और हमेंशा रहेगा.. क्योंकि दिल कभी किसी और से प्यार नही कर सकता और रही दिमाग की बात तो वो तुम्हारे अलावा किसी और के बारे मैं सोचता ही नही।
💌कौन चाहता है रिहा होना तेरी यादों से ये तो वो क़ैद है जो जान से ज़्यादा अजीज़ है..!!💌
देखो तो सही उनकी चाहत में क्या नोबत आ गई..!!
ये हवा भी अब ताना मारने लगी की तुम तडपते रह गए, और मैं उन्हें छु कर आ गई..!!
साथ जब भी छोड़ना, तो मुस्कुरा कर छोड़ना...
ताकि दुनिया ये ना समझे,कि हममें दूरी हो गई...!!
कभी टूटता नहीं मेरे दिल से तेरी यादों का रिश्ता... गुफ़्तगू किसी से भी हो ख़याल तेरा ही रहता है..!!
डरपोक होते है वो लोग जो प्यार नही करते,
जिगर चाहिये बरबाद होने के लिए।
ये दिल💖 न जाने क्या कर बैठा मुझसे👤 बिना पूछे ही फैसला कर बैठा इस ज़मीन पर टूटा सितारा🌠 भी नहीं गिरता और ये पागल चाँद🌙 से मोहब्बत😍 कर बैठा।
मैंने एक दिन अपने दिल से कहा - तुम उसे याद क्यों करते हो जो तुम्हें याद नहीं करता,
दिल ने पलट कर जवाब दिया..!!
मुहब्बत करने वाले कभी मुकाबला नहीं करते।
ना कर जिद अपनी हद में रह ऐ दिल वो बड़े लोग हैं अपनी मर्ज़ी से याद करते है.!!
राख से भी आएगी खुशबू मोहब्बत की...!!
मेरे खत तुम सरेआम जलाया ना करो...!!
कितना आकर्षक बुलावा है तुम्हारी आँखों का,
मैं अगर राह से भटका हूँ तो मुजरिम तुम हों।
जब वो नाराज होती है तब मुझे दुनिया की सबसे महँगी चीज उसकी मुस्कान लगती है।
जहाँ दर्द और सुकून दोनों एक से लगने लगते है,
तुम्हारे इश्क़ में उस मुक़ाम से गुजरने की तमन्ना है मेरी..!!
तलाश है इक ऐसे शख्स की , जो आँखो मे उस वक्त दर्द देख ले, जब दुनियाँ हमसे कहती है, क्या यार तुम हमेशा हँसते ही रहते हो।
तू मुहब्बत से कोई चाल तो चल,
हार जाने का हौसला है मुझ में..!!
अब तुझे रोज़ ना देखें तो तड़प उठते हैं हम..!! अब तो आदत सी हो गयी है तुझें देखने की..!!
चढ़ जाए तो फिर उतरता ही नहीं..!!
कमबख्त यह इश्क भी गरीब के क़र्ज़ जैसा है।
ये जो सिलसिला चल पड़ा है, जहां में रिश्वतों का,
तुम भी कुछ ले दे कर मेरे क्यों नहीं हो जाते।
बन के अजनबी मिले थे कभी इन यादों के लम्हों को मिटायेंगे नही, अगर याद रखना फितरत है आपकी, तो वादा है हम भी आपको कभी भुलायेंगे नही।
सुनते हैं कि मिल जाती है हर चीज़ दुआ से,
इक रोज़ तुम्हे मांग के देखेंगे खुदा से..!!
हमसे रंज न रख ,
तेरी आशिक़ी क़ी हम भी कदर करते है,
दिल बाँट नहीं सकते हर किसी से हम,
पर खबर सबकी रखते है।
मैं दिल मे सबको आने का मौका देता हूँ,
पर तुम शक ना करो,
तुम जहाँ बस्ती हो,
यकींन मानो में वहा किसको जाने नही दूंगा..!!
जिसे ज़िन्दगी में सबसे ज्यादा प्यार करना..!!
उसे कभी ये मत जाहिर होने देना,
कि आप उससे सबसे ज्यादा मोहब्बत करते है..!
क्योंकि इंसान की ये फितरत होती है,
कि जो चीज उसे हासिल हो जाती है,
वो उसकी कद्र नही करता,
उसे तकलीफ देने लगता है।
आओ दिलों की दूरियां मिटा दें,
कुछ इस तरह सीने से लगा लो हमें,
बांहों में सिमट जाने दो,
खुद पर यकीन है तुम्हें पा कर ही रहेंगे,
तकदीर को छोड़ो हमे खुद को आजमाने दो,
मेरी खुशबू से महके तेरे घर का हर कोना अपने आँगन में मुझे पत्तों सा बिखर जाने दो।
उनसे मिलने की जो सोचें अब वो ज़माना नहीं; घर भी उनके कैसे जायें अब तो कोई बहाना नहीं; मुझे याद रखना तुम कहीं भुला ना देना; माना कि बरसों से तेरी गली में आना-जाना नहीं।
थक गया करते-करते याद तुझको,
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ..!!
तू इनकार ही कर दे मगर कुछ गुफ्तगुं तो कर,
तेरा खामोश सा रहना मुझे तकलीफ देता है..!!
खूबिओं से नहीं होती मोहब्बत भी सदा,
कमियों से भी अक्सर प्यार हो जाता है।
अगर होता है इत्तेफाक तो यूँ क्यों नहीं होता ..
वो चले उस राह पर जो मुझ पे खत्म हो..!!
उदाशी तुमपे बीतेगी तो तुम भी जान जाओगे..
कोई नज़र अंदाज़ करता है तो कितना दर्द होता है..!!
फ़क्र ये कि तुम मेरे हो, लेकिन...
फ़िक्र ये है कि पता नही कब तक .!!
हजारों में मुझे बस वही एक शख्स चाहिये,
जो मेरी गैर मौजुदगी में मेरी बुराई ना सुन सके..!!
यूँ ही रूठे रहना तुम हम से,
कसम से तुम रूठे हुये भी अच्छे लगते हो..!!
इलाज ना ढूंढ तू इश्क़ का - वो होगा ही नहीं,
इलाज मर्ज का होता है, इबादत का नहीं..!!
कोई ज़ुबा नहीं होती प्यार की,
बेशक़ अनपढ़ है पर है बहुत ख़ूबसूरत...!!!
किताबों की तरह बहुत से अल्फाज़ है मुझमें ,
और किताबों की तरह ही खामोश रहता हूँ मैं !!
हस़ी तो औऱ भी थे इस कायनात में,
ये और बात है के नज़र तुम पे रुक गयी..!!
लगता है मेरा खुदा मेहरबान है मुझ पर,
मेरी दुनिया में तेरी मौजूदगी यूँ ही तो नहीं है।
उसने देखा ही नहीं अपनी हथेली को कभी..
उसमे हलकी सी लकीर मेरी भी थी!!♥