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सोमवार, 1 अक्तूबर 2018

नज़र भर वो देखें और मुस्कुरा दें।

नज़र भर वो देखें और मुस्कुरा दें…
हम उनके लिए ज़िन्दगानी लुटा दें…

हर एक राह उनकी गुलों से सजा दें…
चलो ज़िन्दगी को मोहब्बत बना दें…
नज़र भर वो देखें और मुस्कुरा दें…
हम उनके लिए ज़िन्दगानी लुटा दें…

सज़ा दें, सिला दें, बना दें, मिटा दें…
मगर वो कोई फैसला तो सुना दें…
नज़र भर वो देखें और मुस्कुरा दें…
हम उनके लिए ज़िन्दगानी लुटा दें…
निगाहें करम उनका गर आज हो तो…
चलो उनके चेहरे से पर्दा हटा दें…
नज़र भर वो देखें और मुस्कुरा दें…
हम उनके लिए ज़िन्दगानी लुटा दें।