नाते सारे तोड़ दिए…फिर भी क्यों सताती है…
अब भी रोज रातों को वो मेरे सपने में आती हैं…
वो तो सकून से जी रही हैं जिंदगी अपनी…
फिर रात को में तंग करके क्यों जाती हैं…
वैसे करती होगी नफरत मुझसे…
सपने में प्यार बहुत जताती है…
वो भूल गई होगी मुझको रब जाने…
पर मुझे हरपल उसकी याद सताती हैं…
अब भी रोज रातों को वो मेरे सपने में आती हैं…
सपनों में नशीली आंखों से मुझे ही देखें जाती हैं…
आंखे खुलते ही पता नहीं कहां गायब हो जाती हैं…
करती हैं बहुत बात वो मुझसे,
हजारों शिकायतें इक्कठा करके लाती हैं…
मेरा हाल पूछती हैं, अपना हाल भी बताती हैं…
भूल जाता हूं सबकुछ उसकी बातों में खो जाता हूं…
पता नही क्यों मैं ऐसे पागल सा हो जाता हूं…
वादे किए थे जो उसने, शायद उन्हें निभाकर जाती हैं…
अब भी रोज रातों को वो मेरे सपने में आती हैं।
𝐓𝐡𝐚𝐤𝐮𝐫 𝐒𝐚𝐜𝐡𝐢𝐧 𝐂𝐡𝐚𝐮𝐡𝐚𝐧