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शुक्रवार, 27 दिसंबर 2019

प्रेम इतनी गहराई से करो कि जीवन के अंतिम पलों में भी स्मरण हो जाए।


प्रेम में ही जीवन है, प्रेम में ही ध्यान है, प्रेम में ही साधना है, प्रेम में ही मुक्ति है और प्रेम में ही मृत्यु! जीवन में प्रेम है तो सबकुछ है, हर चीजे सहज और सरल हो जाती है। हर जगह, हर समय, हर व्यक्ति से आनंद मिलता है। पर जब प्रेम में जीवन का अंतिम पल आता है, तो लोग असहज हो जाते है। 
क्यों…………………???????
क्या प्रेम सिर्फ जीवन को ही आनंद देता है? क्या प्रेम जीवन के साथ ही समाप्त हो जाता है? प्रेम में मर कर भी सबके दिलों में बसा जा सकता है, सबके करीब रहा जा सकता है, उनका प्रेम तब निःस्वार्थ पाया जा सकता है, शायद जो पुरे जीवन में न मिला हो, क्योकि तब अपना कोई अस्तित्व नही होता, किसी अनहोनी की आशंका नही होती, सब जानते रहते है कि वो अब इस दुनिया में नहीं रहा, सिर्फ उसकी यादे होती है, कुछ खट्टी-कुछ मीठी, जो कभी रुलाती है, कभी हँसाती है, कभी गुदगुदा जाती है। दिल के किसी कोने में उसके आखिरी साँस तक रहती है। कोई लाख कोशिश कर ले पर भूल नहीं पाता, पर शर्त एक है कि प्रेम सिर्फ प्रेम ही हो, और कुछ नहीं।
मै तो मानता हूँ कि जिस प्रेम की चाहत में आपने पूरी जिंदगी गुजार दी और जो हमेशा अधूरा ही महसूस होता रहा, जिसको पाने के लिए आपने हर कोशिशे कर ली पर तृप्त नही हुए, जिसको पाने लिए आपने अपना सब कुछ खो दिया, पर निराशा मिली, एक बार जीवन के अंतिम पलो में जाकर देखे! पर जब जीवन का अंतिम पल हो तो दुःखी हो कर नहीं, उतने ही आनंद से, उसी भाव से, जिस भाव से आपने जीवन में प्रेम को पाने की कोशिशे की थी, जीवन के अंतिम क्षणो में भी उसी प्रेम को महसूस करो, उसी गहराई में उतरो, फिर देखो! वही आनंद, वही मौज, वही गहराई मिलेगी। जिंदगी का आखिरी लम्हा तुम्हे आनंद से भर देगा, तृप्त हो जाओगे, दुःख खत्म हो जायेगा, सब कुछ सरल और सहज हो जायेगा, आँखों को प्रेम की उसी गहराई में उतरकर बंद कर लो जो कभी जीवन में उस प्रेम को महसूस कर अपने आप बंद हो गयी थी।🙏🙏

किसी की यादों में बस जानें की बात कुछ और है।