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गुरुवार, 15 अक्तूबर 2020

सी के लब एक क़यामत सी, उठा दी जाए…

सी के लब एक क़यामत सी, उठा दी जाए
रह के ख़ामोश अब ज़रा, धूम मचा दी जाए…

अब तो सैयाद को भी कोई, सज़ा दी जाए
इस क़फ़स ही में ज़रा, आग लगा दी जाए…

जिसको देखो वही, सहरा में चला आता है
अब रास्ते में कोई दीवार, ऊंची उठा दी जाए…

दिल में कब तक रहे, उम्मीद का वीरान महल
अब तो ये गहन इमारत भी, गिरा दी जाए।