अभी क्या करूंगा मै वहां जा के
समय ले ही जाएगा एक दिन बहा के
मोहब्बत ही तो सितम था मेरे लिए
जग जला दिया मेरा दिल सुलगा के
खुद पे रोता हूं, खुद पे ही हंसता हूं
किसी ने सिसकी सुनी किसी ने ठहाके
बेचैन ही रहेगी हरदम मेरी जिंदगी
जी नहीं सकता मै खून को पानी बना के
जैसा दिल चाहा वैसा किया, क्या करूं
बेवकूफ हूं साहब रोशनी देखा घर जला के
गरीब का कौशल छीन कर हुए आप बड़े
अर्जुन प्रसिद्ध हुआ एकलव्य का अंगूठा कटा के
किस्मत दगा दी तो क्या भरोसा है पुरुष्ठर्थ पर
यकीं है "सचिन" सूरज उगेगा अंधेरा हटा के।।