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सोमवार, 6 जनवरी 2020

एक आग है जो तुम्हारे प्रेम से परेदहकती रहती है।

एक आग है जो तुम्हारे प्रेम से परे
दहकती रहती है मेरे अंदर
मेरी भी अंगड़ाइयां मचलती हैं
मुझे अब तक करवटें जगातीं हैं
मेरे जिस्म के अंगारे दहकते हैं
मेरी आँखों में कोई है जो हरदम
ज़िद पे रहता है कि उसको
अपने सिरहाने सिर्फ तुम चाहिए
मेरे जज़्बे में अब भी है कोई
जो ज़माने को लगाना चाहता है आग
ताकि वो सुकून से सिर्फ़ तुम्हें देख सके
लेकिन क्या करूँ अब ये अंगारे 
तुम्हारे अंदर बुझ चुके होंगे
पूरी हो चुकी होगी तुम्हारी हर ख़्वाहिश
देख चुके होगे तुम दुनिया के हर सुख
कि इसके बाद तुम्हारे अंदर क्या रहा होगा
जिसे देखकर मैं उसको अधूरा समझूँ
और झोंक दूँ खुद को उसे पूरा करने में
तुम्हें मेरा दिया हुआ सुख अब कुछ न लगेगा
कि अब मर भी जाऊँ तुम्हारे लिए
तो वो थोड़ा होगा.....💔