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सोमवार, 23 अक्टूबर 2017

तुम्हें देखा तो...

तुम्हें देखा तो...
तुम्हें देखा तो भरी आँख भी मुस्करा गई
मेरे होंठों की हँसी हर ज़ख्म छुपा गई

मुद्दत बाद गुज़रे हो इस गली से तन्हा
सोचता हूँ, बात क्या तुम्हें याद इधर की दिला गई?

एक मैं ही तो नहीं था तुम्हारे अपनों में कभी
बड़ी लम्बी क़तार थी, क्या ख़त्म होने को आ गई?

ख्वाहिश तो बहुत थी साथ तुम्हारे रहने की
पर क्या करें? आड़े तुम्हारे ही मजबूरियाँ आ गई

तुम से दूर होकर सिवा तड़प के कुछ हासिल तो नहीं
पर ये बोझ भी चुपके से हर साँस उठा गई

खैर यही सही, तुम खुश तो हो अपनों में
एक मेरी कमी क्या लेके तुम्हारा गई?

तुमसे जुड़ी हर बात याद आएगी


तुमसे जुड़ी हर बात याद आएगी,
अपनी ये दूसरी मुलाकात याद आएगी।

लबों से ना हो पाई कोई भी बात,
मगर फिर भी ये बात याद आएगी।

गुजरा था हर लम्हा तुम्हारे दीदार में,
कितनी थी हसीन ये रात याद आएगी।

कदमों का फासला भी मीलों सा था,
ऐसे भी होती है मुलाकात याद आएगी।

दोनों के दिलों का हाल अलग-अलग था,
ये अलग अलग सवालों वाली बात याद आएगी।

कितनी थी बंदिशें और मजबूरी दिलों की,
मजबूरियों वाली ऐसी ये रात याद आएगी।

खुली जुल्फों में एक चाँद सा चेहरा ,
उस रात चाँद से हुई मुलाकात याद आएगी।

तुमसे जुड़ी हर बात याद आएगी,
अपनी ये दूसरी मुलाकात याद आएगी !!

लबो से चाहत की खुशबू चुराने दो..!!

लबो से चाहत की खुशबू चुराने दो
बहुत हो गया सितम, अब तो पास आने दो।

ना करना जुबां से इज़हार मोहब्बत का.
बस इशारो से ही राज़-ए-दिल की बात बताने दो। 


हो मेहबूब तुम्हारे जैसा हसीन तो मुमकिन हैं
देख कर तुमको निगाहो में खुमार भर जाने दो।

है गुज़ारिश नहीं संभालता ये इश्क़ हमसे
अब तो टूट कर बाहो में बिखर जाने दो ।

मंगलवार, 10 अक्टूबर 2017

📕 मुझें क़िताब📖 बनाया होता।📕

काश बनाने वाले ने मुझें क़िताब बनाया होता…
वो पढ़ते पढ़ते सो जाती, मुझें सीने से लगाया होता…!!

मैं उसके ग़म में रोता और रोता ही जाता…
उसने चुपके से मुझे सीने से लगाया होता…!!

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ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी

उसको दास्तान सुना के थक सा गया…
काश उसने भी मुझें हाल-ए-दिल सुनाया होता…!!

मैं उस का नाम लेता और सुबह-शाम लेता…
है अफ़सोस उसने मुझे एक बार तो बुलाया होता…!!

मैं उस की खातिर तड़फता रहा शाम-ओ-शहर…
आराम ना होता गर उस ने एक आँसू ही बहाया होता…!!

रविवार, 1 अक्टूबर 2017

💌 Thanks Letter 💌

💌_______THANKS LETTER_______💌
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My Dear..!! 🌹
Thank You Very Much For Remembering
My Birthdate And Giving Me A Gift..!!
God Will Take You To The Summit Of Progress.
I Am Greatly Touched From Your
Wonderful Wishes And Remarkable Gift.
Thanks Again With Love..!!

मेरी जन्मतिथि याद रखने और मुझे गिफ्ट देने के लिए बहुत–बहुत धन्यवाद..!!
भगवान तुम्हें उन्नति के शिखर तक ले जाए।
तुम्हारे द्वारा दिए गए गिफ्ट और शुभकानाएं मुझे बहुत अच्छे लगे..!!
एक बार फ़िर प्यार भरा धन्यवाद..!!                                              
                                                 【❤ 】
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शनिवार, 30 सितंबर 2017

कुमार विश्वास जी की ✍ कलम से

हम दिलों जान से जिसे चाहें वो ही रूठता क्यूँ हैं।

हम दिलों जान से जिसे चाहें वो ही रूठता क्यूँ है,
ये दिल जो कि सबसे कीमती है वही टूटता क्यूँ है...

इस दिल को भी पता है इन मसलों के हल नही है,
फिर भी यही सवाल ये मुझसे सदा पूछता क्यूँ है...

यँहा साथी सभी सफ़र के और मंज़िले भी अलग हैं,
फिर भी ये किसी खास के साथ को ढूँढता क्यूँ है..

इसे पता है वो मौन है इससे गुफ्तगूँ भी नही करता,
फिर भी ज़हन में एक उसी का संवाद गूँजता क्यूँ है...

दिल को थाह नही इस प्रेम के सागर की गहराई,
तैरना भी ना जाने फिर भी ये इसमें कूदता क्यूँ है...

ये जानता है इसकी तकलीफ का सबब है वो चेहरा,
फिर भी उसकी ही तस्वीर को छुप के चूमता क्यूँ है ?