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रविवार, 1 जुलाई 2018

😢एक लव स्टोरी😢

🌺👈👈👈👈👈
एक लड़की थी। बहुत ही खूबसूरत।

ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी

जितनी वह सुंदर थी…
उतनी ही ईमानदार। न किसी से
झूठ
बोलना, न किसी से फालतू की बातें करना। बस
अपने काम
से काम रखना।
“उसी क्लास में एक लड़का था। वह मन ही
मन
उससे बहुत प्यार करता था। लड़का अक्सर
उसके
छोटे-मोटे काम कर दिया करता था।
बदले में जब
लड़की मुस्करा कर थैंक्यू कहती थी, तो
लड़के की
खुशी की सीमा नहीं रहती थी।
एक बार की बात है। दोनों लोग साथ-
साथ घर जा
रहे थे। तभी जोरदार बारिश होने लगी।
दोनों को एक
पेड़ के नीचे रुकना पडा पेड़ बहुत छोटा था,
बारीस की बुन्दे छन-छन
कर उससे नीचे आ रही थीं। ऐसे में
बारिश से
बचने के लिए दोनों एक दूसरे के बेहद करीब
आ गये।
लड़की को इतने करीब पाकर लड़का अपने
जज्बातों पर काबू न रख सका। उसके
लड़की को
प्रजोज कर दिया। लड़की भी मन ही मन
उसको चाहती थी।
इसलिए वह भी राजी हो गयी। और
इस तरह
दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा।
एक बार की बात है लड़की उसी पेड़ ने नीचे
लड़के
का इंतजार कर रही थी। लड़का बहुत देर से
आया।
उसे देखकर लड़की नाराजगी से बोली,
‘तुम इतनी
देर से क्यों आए? मेरी तो जान ही निकल
गयी थी।’
यह सुनकर लडका बोला, ‘जानेमन, मैं तुमसे
दूर
कहां गया था, मैं तो तुम्हारे दिल में ही
रहता हूं।
तुम्हें यकीन न हो तो अपने दिल से पूछ लो।’
लड़के
की इस प्यारी सी बात को सुनकर
लङकी अपना सारा
गुस्सा भुल गयी और वह दौड़ कर लड़के से
लिपट
गयी।
एक दिन दोनों लोग उसी पेड़ के नीचे बैठे
बातें कर
रहे थें। लड़की पेड़ के सहारे बैठी थी अैर
लड़का
उसकी गोद में सर रख कर लेटा हुआ था।
तभी
लड़की बोली, ”जानू, अब तुम्हारी जुदाई
मुझसे
बर्दाश्त नहीं होती। तुम्हारे बिना एक
पल भी मुझे
100 साल के बराबर लगता है। तुम मुझसे
शादी
कर लो, नहीं तो मैं मर जाऊंगी।”
लडके ने झट से लड़की के मुंह पर अपना हाथ
रख
दिया और बोला, ”मेरी जान, ऐसी बात
मत किया
करो, अगर तुम्हें कुछ हो गया, तो मैं कैसे
जिंदा
रहूंगा।” फिर वह कुछ सोचता हुआ बोला,
”तुम
चिंता मत करो, मैं जल्द ही अपने घर वालों
से बात
करूंगा।”
धीरे-धीरे काफी समय बीत गया। एक
दिन की बात
है। दोनों लोग उसी पेड़ के नीचे बैठे हुए थे।
उस
समय लड़के का चेहरा उतरा हुआ था। लड़की
के
पूछने पर वह रूआंसा होकर बोला, ”जान,
मैंने अपने
घर वालों को बहुत समझाया, पर वे
हमारी शादी के
लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने मेरी शादी
कहीं और पक्की कर दी है”
यह सुन कर लड़की का कलेजा फट पड़ा।
उसका
मन हुआ कि वह जोर-जोर से रोए”लेकिन
उसने
अपने जज्बात पर काबू पा लिये और
बोली, ”मैंने
तुमसे सच्चा प्यार किया है, मैं तुम्हें कभी
भुला
नहीं सकती।”
”प्लीज मुझे माफ कर देना..!” लड़का धीरे
से बाेला,
वैसे अगर तुम चाहो, तोअब से हम
एक अच्छे दोस्त रह सकते हैं।”
लडकी यह सुन कर ज़ो-ज़ोर से रोने लगी”
लड़के ने
उसे समझाया और फिर दोनों लोग रोते
हुए अपने-
अपने घर चले गये।
देखते ही देखते लड़के की शादी का दिन आ
गया।
लड़के को यकीन था कि उसकी शादी में
उसकी
दोस्त जरूर आएगी। पर ऐसा नहीं हुआ। हां,
लड़की
का भेजा हुआ एक गिफ्ट पैक उसे ज़रूर
मिला।
लड़के ने कांपते हांथों से उसे खोला।
उसे
देखते ही
वह बेहोश हो गया।
गिफ्ट पैक में और कुछ नहीं खून से लथपथ
लड़की
का दिल रखा हुआ था। और साथ ही में
थी एक
चिट्ठी, जिसमें लिखा हुआ था- अरे
पागल, अपना
दिल तो लेते जा वरना अपनी पत्नी को
क्या देगा...😓😓😓😓

दोस्तो हमारी जिन्दगी का सबसे खुबसुरत एहसास प्यार ही है
जो हमको आपको हर किसी को होता है पर क्या हम उसको
अपना पाते हैं कभी हम गलत तो कभी साथी गलत दोनो सही तो घरवाले गलत पर क्या प्यार गलत होता है नही”तो”मित्रों प्यार करो लेकिन खिलवाङ मत करो।
👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍

गुरुवार, 28 जून 2018

सूना आसमान (भाग-1) : अमिता ने क्यों कुंआरी रहने का फैसला लिया।

अमिता बाल्यकाल से ही मेरी दोस्त रही. वह जितनी खूबसूरत थी उतनी ही स्वाभिमानी भी थी. वह अपने रास्ते से टस से मस नहीं होती, लेकिन इसी स्वाभिमान के कारण अमिता ने ताउम्र कुंआरी रहने का फैसला कर लिया था।

ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी


अमिता जब छोटी थी तो मेरे साथ खेलती थी. मुझे पता नहीं अमिता के पिता क्या काम करते थे, लेकिन उस की मां एक घरेलू महिला थीं और मेरी मां के पास लगभग रोज ही आ कर बैठती थीं. जब दोनों बातों में मशगूल होती थीं तो हम दोनों छोटे बच्चे कभी आंगन में धमाचौकड़ी मचाते तो कभी चुपचाप गुड्डेगुडि़या के खेल में लग जाते थे.
धीरेधीरे परिस्थितियां बदलने लगीं. मेरे पापा ने मुझे शहर के एक बहुत अच्छे पब्लिक स्कूल में डाल दिया और मैं स्कूल जाने लगा. उधर अमिता भी अपने परिवार की हैसियत के मुताबिक स्कूल में जाने लगी थी. रोज स्कूल जाना, स्कूल से आना और फिर होमवर्क में जुट जाना. बस, इतवार को वह अपनी मां के साथ नियमित रूप से मेरे घर आती, तब हम दोनों सारा दिन खेलते और मस्ती करते.
हाईस्कूल के बाद जीवन पूरी तरह से बदल गया. कालेज में मेरे नए दोस्त बन गए, उन में लड़कियां भी थीं. अमिता मेरे जीवन से एक तरह से निकल ही गई थी. बाहर से आने पर जब मैं अमिता को अपनी मां के पास बैठा हुआ देखता तो बस, एक बार मुसकरा कर उसे देख लेता. वह हाथ जोड़ कर नमस्ते करती, तो मुझे वह किसी पौराणिक कथा के पात्र सी लगती. इस युग में अमिता जैसी सलवारकमीज में ढकीछिपी लड़कियों की तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता था. अमिता खूबसूरत थी, लेकिन उस की खूबसूरती के प्रति मन में श्रद्धाभाव होते थे, न कि उस के साथ चुहलबाजी और मौजमस्ती करने का मन होता था.
वह जब भी मुझे देखती तो शरमा कर अपना मुंह घुमा लेती और फिर कनखियों से चुपकेचुपके मुसकराते हुए देखती. दिन इसी तरह बीत रहे थे.
फिर मैं ने नोएडा के एक कालेज में बीटैक में दाखिला ले लिया और होस्टल में रहने लगा. केवल लंबी छुट्टियों में ही घर जाना हो पाता था. जब हम घर पर होते थे, तब अमिता कभीकभी हमारे यहां आती थी और दूर से ही शरमा कर नमस्ते कर देती थी, लेकिन उस के साथ बातचीत करने का मुझे कोई मौका नहीं मिलता था. उस से बात करने का मेरे पास कोई कारण भी नहीं था. ज्यादा से ज्यादा, ‘कैसी हो, क्या कर रही हो आजकल?’ पूछ लेता. पता चला कि वह किसी कालेज से बीए कर रही थी. बीए करने के बावजूद वह अभी तक सलवारकमीज में लिपटी हुई एक खूबसूरत गुडि़या की तरह लगती थी. लेकिन मुझे तो जींस टौप में कसे बदन और दिलकश उभारों वाली लड़कियां पसंद थीं. उस की तमाम खूबसूरती के बावजूद, संस्कारों और शालीन चरित्र से मुझे वह प्राचीनकाल की लड़की लगती थी.
गरमी की एक उमसभरी दोपहर थी. मैं अपने कमरे में एसी की ठंडी हवा लेता हुआ एक उपन्यास पढ़ने में व्यस्त था, तभी दरवाजे पर एक हलकी थाप पड़ी. मैं चौंक गया और लेटेलेटे ही पूछा, ‘‘कौन?’’
‘‘मैं, एक मीठी आवाज कानों में पड़ी. मैं पहचान गया, अमिता की आवाज थी, मैं ने कहा, आ जाओ, दरवाजे की सिटकिनी नहीं लगी है.’’
‘‘हां,’’ उस का सिर झुका हुआ था, आंखें उठा कर उस ने एक बार मेरी तरफ देखा. उस की आंखों में एक अनोखी कशिश थी, जो सामने वाले को अपनी तरफ आकर्षित कर रही थी. उस का चेहरा भी दमक रहा था. वह बहुत ही खूबसूरत लग रही थी. उस के नैननक्श बहुत सुंदर थे. मैं एक पल के लिए देखता ही रह गया और मेरे हृदय में एक कसक सी उठतेउठते रह गई.
‘‘तुम…अचानक…इतनी दोपहर को? कोईर् काम है?’’ मैं उस के सौंदर्य से अभिभूत होता हुआ बिस्तर पर बैठ गया. पहली बार वह मुझे इतनी सुंदर और आकर्षक लगी थी.
वह शरमातीसकुचाती सी थोड़ा आगे बढ़ी और अपने हाथों को आगे बढ़ाती हुई बोली, ‘‘मिठाई लीजिए.’’
‘‘मिठाई?’’
‘‘हां, आज मेरा जन्मदिन है. मां ने मिठाई भिजवाई है,’’ उस ने सिर झुकाए हुए ही कहा.
‘‘अच्छा, बधाई हो,’’ मैं ने उस के हाथों से मिठाई ले ली.
मैं उस वक्त कमरे में अकेला था और एक जवान लड़की मेरे साथ थी. कोई देखता तो क्या समझता. मेरा ध्यान भी उपन्यास में लगा हुआ था. कहानी एक रोचक मोड़ पर पहुंच चुकी थी. ऐसे में अमिता ने आ कर अनावश्यक व्यवधान पैदा कर दिया था. अत: मैं चाहता था कि वह जल्दी से जल्दी मेरे कमरे से चली जाए. लेकिन वह खड़ी ही रही. मैं ने प्रश्नवाचक भाव से उसे देखा.
‘‘क्या मैं बैठ जाऊं?’’ उस ने एक कुरसी की तरफ इशारा करते हुए कहा.
‘‘हां…’’ मेरी हैरानी बढ़ती जा रही थी. मेरे दिल में धुकधुकी पैदा हो गई. क्या अमिता किसी खास मकसद से मेरे कमरे में आई थी? उस की आंखें याचक की भांति मेरी आंखों से टकरा गईं और मैं द्रवित हो उठा. पता नहीं, उस की आंखों में क्या था कि डरने के बावजूद मैं ने उस से कह दिया, ‘‘हांहां, बैठो,’’ मेरी आवाज में अजीब सी बेचैनी थी.
कुरसी पर बैठते हुए उस ने पूछा, ‘‘क्या आप को डर लग रहा है?’’
‘‘नहीं, क्या तुम डर रही हो?’’ मैं ने अपने को काबू में करते हुए कहा.
‘‘मैं क्यों डरूंगी? आप से क्या डरना?’’ उस ने आत्मविश्वास से कहा.
‘‘डरने की बात नहीं है? चारों तरफ सन्नाटा है. दूरदूर तक किसी की आवाज सुनाई नहीं पड़ रही. भरी दोपहर में लोग अपनेअपने घरों में बंद हैं. ऐसे में एक सूने कमरे में एक जवान लड़की किसी लड़के के साथ अकेली हो तो क्या उसे डर नहीं लगेगा?’’
वह हंसते हुए बोली, ‘‘इस में डरने की क्या बात है? मैं आप को अच्छी तरह जानती हूं. आप भी तो कालेज में लड़कियों के साथ उठतेबैठते हैं, उन के साथ घूमतेफिरते हो. रेस्तरां और पार्क में जाते हो, तो क्या वे लड़कियां आप से डरती हैं?’’
मैं अमिता के इस रहस्योद्घाटन पर हैरान रह गया. कितनी साफगोई से वह यह बात कह रही थी. मैं ने पूछा, ‘‘तुम्हें कैसे मालूम कि हम लोग लड़कियों के साथ घूमते फिरते हैं और मौजमस्ती करते हैं?’’
‘‘अब मैं इतनी भोली भी नहीं हूं. मैं भी कालेज में पढ़ती हूं. क्या मुझे नहीं पता कि किस प्रकार युवकयुवतियां एकदूसरे के साथ घूमते हैं और आपस में किस प्रकार का व्यवहार करते हैं?’’

‘‘लेकिन वे युवतियां हमारी दोस्त होती हैं और तुम…’’ मैं अचानक चुप हो गया. कहीं अमिता को बुरा न लग जाए. अफसोस हुआ कि मैं ने इस तरह की बात कही. आखिर अमिता मेरे लिए अनजान नहीं थी. बचपन से हम एकदूसरे को जानते हैं. जवानी में भले ही आत्मीयता या निकटता न रही हो, लेकिन इस का मतलब यह नहीं कि वह मुझ से मिल नहीं सकती थी.
अमिता को शायद मेरी बात बुरी लगी. वह झटके से उठती हुई बोली, ‘‘अब मैं चलूंगी वरना मां चिंतित होंगी,’’ उस की आवाज भीगी सी लगी. उस ने दुपट्टा अपने मुंह में लगा लिया और तेजी से कमरे से बाहर भाग गई. मैं ने स्वयं से कहा, ‘‘मूर्ख, तुझे इतना भी नहीं पता कि लड़कियों से किस तरह पेश आना चाहिए. वे फूल की तरह कोमल होती हैं. कोई भी कठिन बात बरदाश्त नहीं कर सकतीं.’’

फिर मैं ने झटक कर अपने मन से यह बात निकाल दी, ‘‘हुंह, मुझे अमिता से क्या लेनादेना? बुरा मानती है तो मान जाए. मुझे कौन सा उस के साथ रिश्ता जोड़ना है. न वह मेरी प्रेमिका है, न दोस्त.’’
उन दिनों घर में बड़ी बहन की शादी की बातें चल रही थीं. वह बीए करने के बाद एक औफिस में स्टैनो हो गई थी. दूसरी बहन बीए करने के बाद प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी और सिविल सर्विसेज में जाने की इच्छुक थी. एक कोचिंग क्लास भी जौइन कर रखी थी. सब के साथ शाम की चाय पीने तक मैं अमिता के बारे में बिलकुल भूल चुका था. चाय पीने के बाद मैं ने अपनी मोटरसाइकिल उठाई और यारदोस्तों से मिलने के लिए निकल पड़ा.
मैं दोस्तों के साथ एक रेस्तरां में बैठ कर लस्सी पीने का मजा ले रहा था कि तभी मेरे मोबाइल पर निधि का फोन आया. वह मेरे साथ इंटरमीडिएट में पढ़ती थी और हम दोनों में अच्छी जानपहचान ही नहीं आत्मीयता भी थी. मेरे दोस्तों का कहना था कि वह मुझ पर मरती है, लेकिन मैं इस बात को हंसी में उड़ा देता था. वह हमारी गंभीर प्रेम करने की उमर नहीं थी और मैं इस तरह का कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता था. मेरे मम्मीपापा की मुझ से कुछ अपेक्षाएं थीं और मैं उन अपेक्षाओं का खून नहीं कर सकता था. अत: निधि के साथ मेरा परिचय दोस्ती तक ही कायम रहा. उस ने कभी अपने पे्रम का इजहार भी नहीं किया और न मैं ने ही इसे गंभीरता से लिया.
इंटर के बाद मैं नोएडा चला गया, तो उस ने भी मेरे नक्शेकदम पर चलते हुए गाजियाबाद के एक प्रतिष्ठान में बीसीए में दाखिला ले लिया. उस ने एक दिन मिलने पर कहा था, ‘‘मैं तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ने वाली.’’
‘‘अच्छा, कहां तक?’’ मैं ने हंसते हुए कहा था.
‘‘जहां तक तुम मेरा साथ दोगे.’’
‘‘अगर मैं तुम्हारा साथ अभी छोड़ दूं तो?’’
‘‘नहीं छोड़ पाओगे. 3 साल से तो हम आसपास ही हैं. न चाहते हुए भी मैं तुम से मिलने आऊंगी और तुम मना नहीं कर पाओगे. यहां से जाने के बाद क्या होगा, न तुम जानते हो, न मैं. मैं तो बस इतना जानती हूं, अगर तुम मेरा साथ दोगे, तो हम जीवनभर साथ रह सकते हैं.’’
मैं बात को और ज्यादा गंभीर नहीं करना चाहता था. बीटैक का वह मेरा पहला ही साल था. वह भी बीसीए के पहले साल में थी. प्रेम करने के लिए हम स्वतंत्र थे. हम उस उम्र से भी गुजर रहे थे, जब मन विपरीत सैक्स के प्रति दौड़ने लगता है और हम न चाहते हुए भी किसी न किसी के प्यार में गिरफ्तार हो जाते हैं. हम दोनों एकदूसरे को पसंद करते थे.
वह मुझे अच्छी लगती थी, उस का साथ अच्छा लगता था. वह नए जमाने के अनुसार कपड़े भी पहनती थी. उस का शारीरिक गठन आकर्षक था. उस के शरीर का प्रत्येक अंग थिरकता सा लगता. वह ऐसी लड़की थी, जिस का प्यार पाने के लिए कोई भी लड़का कुछ भी उत्सर्ग कर सकता था, लेकिन मैं अभी पे्रम के मामले में गंभीर नहीं था, अत: बात आईगई हो गई. लेकिन हम दोनों अकसर ही महीने में एकाध बार मिल लिया करते थे और दिल्ली जा कर किसी रेस्तरां में बैठ कर चायनाश्ता करते थे, सिनेमा देखते थे और पार्क में बैठ कर अपने मन को हलका करते थे.
तब से अब तक 2 साल बीत चुके थे. अगले साल हम दोनों के ही डिग्री कोर्स समाप्त हो जाएंगे, फिर हमें जौब की तलाश करनी होगी. हमारा जौब हमें कहां ले जाएगा, हमें पता नहीं था.
मैं ने फोन औन कर के कहा, ‘‘हां, निधि, बोलो.’’
‘‘क्या बोलूं, तुम से मिलने का मन कर रहा है. तुम तो कभी फोन करोगे नहीं कि मेरा हालचाल पूछ लो. मैं ही तुम्हारे पीछे पड़ी रहती हूं. क्या कर रहे हो?’’ उधर से निधि ने जैसे शिकायत करते हुए कहा. उस की आवाज में बेबसी थी और मुझ से मिलने की उत्कंठा… लगता था, वह मेरे प्रति गंभीर होती जा रही थी.
मैं ने सहजता से कहा, ‘‘बस, दोस्तों के साथ गपें लड़ा रहा हूं.’’
‘‘क्या बेवजह समय बरबाद करते फिरते हो.’’
‘‘तो तुम्हीं बताओ, क्या करूं?’’
‘‘मैं तुम से मिलने आ रही हूं, कहां मिलोगे?’’
मैं दोस्तों के साथ था. थोड़ा असहज हो कर बोला, ‘‘मेरे दोस्त साथ हैं. क्या बाद में नहीं मिल सकते?’’
‘‘नहीं, मैं अभी मिलना चाहती हूं. उन से कोई बहाना बना कर खिसक आओ. मैं अभी निकलती हूं. रामलीला मैदान के पास आ कर मिलो,’’ वह जिद पर अड़ी हुई थी.
दोस्त मुझे फोन पर बातें करते देख कर मुसकरा रहे थे. वे सब समझ रहे थे. मैं ने उन से माफी मांगी, तो उन्होंने उलाहना दिया कि प्रेमिका के लिए दोस्तों को छोड़ रहा है. मैं खिसियानी हंसी हंसा, ‘‘नहीं यार, ऐसी कोई बात नहीं है,’’ फिर बिना कोई जवाब दिए चला आया. रामलीला मैदान पहुंचने के 10 मिनट बाद निधि वहां पहुंची. वह रिकशे से आई थी. मैं ने उपेक्षित भाव से कहा, ‘‘ऐसी क्या बात थी कि आज ही मिलना जरूरी था. दोस्त मेरा मजाक उड़ा रहे थे.’’
उस ने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा, ‘‘सौरी अनुज, लेकिन मैं अपने मन को काबू में नहीं रख सकी. आज पता नहीं दिल क्यों इतना बेचैन था. सुबह से ही तुम्हारी बहुत याद आ रही थी.’’
‘‘अच्छा, लगता है, तुम मेरे बारे में कुछ अधिक ही सोचने लगी हो.’’
हम दोनों मोटरसाइकिल के पास ही खड़े थे. उस ने सिर नीचा करते हुए कहा, ‘‘शायद यही सच है. लेकिन अपने मन की बात मैं ही समझ सकती हूं. अब तो पढ़ने में भी मेरा मन नहीं लगता, बस हर समय तुम्हारे ही खयाल मन में घुमड़ते रहते हैं.’’
मैं सोच में पड़ गया. ये अच्छे लक्षण नहीं थे. मेरी उस के साथ दोस्ती थी, लेकिन उस को प्यार करने और उस के साथ शादी कर के घर बसाने के बारे में मैं ने कभी सोचा भी नहीं था.
‘‘निधि, यह गलत है. अभी हमें पढ़ाई समाप्त कर के अपना कैरियर बनाना है. तुम अपने मन को काबू में रखो,’’ मैं ने उसे समझाने की कोशिश की.
‘‘मैं अपने मन को काबू में नहीं रख सकती. यह तुम्हारी तरफ भागता है. अब सबकुछ तुम्हारे हाथ में है. मैं सच कहती हूं, मैं तुम्हें प्यार करने लगी हूं.’’
मैं चुप रहा. उस ने उदासी से मेरी तरफ देखा. मैं ने नजरें चुरा लीं. वह तड़प उठी, ‘‘तुम मुझे छोड़ तो नहीं दोगे?’’
मैं हड़बड़ा गया. मोटरसाइकिल स्टार्ट करते हुए मैं ने कहा, ‘‘चलो, पीछे बैठो,’’ वह चुपचाप पीछे बैठ गई. मैं ने फर्राटे से गाड़ी आगे बढ़ाई. मैं समझ ही नहीं पा रहा था कि ऐसे मौके पर कैसे रिऐक्ट करूं? निधि ने बड़े आराम से बीच सड़क पर अपने प्यार का इजहार कर दिया था. न उस ने वसंत का इंतजार किया, न फूलों के खिलने का और न चांदनी रात का… न उस ने मेरे हाथों में अपना हाथ डाला, न चांद की तरफ इशारा किया और न शरमा कर अपने सिर को मेरे कंधे पर रखा.
बड़ी शालीनता से उस ने अपने प्यार का इजहार कर दिया. मुझे बड़ा अजीब सा लगा कि यह कैसा प्यार था, जिस में प्रेमी के दिल में प्रेमिका के लिए कोई प्यार की धुन नहीं बजी.
एक अच्छे से रेस्तरां के एक कोने में बैठ कर मैं ने बिना उस की ओर देखे कहा, ‘‘प्यार तो मैं कर सकता हूं, पर इस का अंत क्या होगा?’’ मेरी आवाज से ऐसा लग रहा था, जैसे मैं उस के साथ कोई समझौता करने जा रहा था.
‘‘प्यार के परिणाम के बारे में सोच कर प्यार नहीं किया जाता. तुम मुझे अच्छे लगते हो, तुम्हारे बारे में सोचते हुए मेरा दिल धड़कने लगता है, तुम्हारी आवाज मेरे कानों में मधुर संगीत घोलती है, तुम से मिलने के लिए मेरा मन बेचैन रहता है. बस, मैं समझती हूं, यही प्यार है,’’ उस ने अपना दायां हाथ मेरे कंधे पर रख दिया और बाएं हाथ से मेरा सीना सहलाने लगी.
मैं सिकुड़ता हुआ बोला, ‘‘हां, प्यार तो यही है, लेकिन मैं अभी इस मामले में गंभीर नहीं हूं.’’
‘‘कोई बात नहीं, जब रोजरोज मुझ से मिलोगे तो एक दिन तुम को भी मुझ से प्यार हो जाएगा. मैं जानती हूं, तुम मुझे नापसंद नहीं करते,’’ वह मेरे साथ जबरदस्ती कर रही थी.
क्या पता, शायद एक दिन मुझे भी निधि से प्यार हो जाए. निधि को अपने ऊपर विश्वास था, लेकिन मुझे अपने ऊपर नहीं… फिर भी समय बलवान होता है. एकदो साल में क्या होगा, कौन क्या कह सकता है?
इसी तरह एक साल बीत गया. निधि से हर सप्ताह मुलाकात होती. उस के प्यार की शिद्दत से मैं भी पिघलने लगा था और दोनों चुंबक की तरह एकदूसरे को अपनी तरफ खींच रहे थे. इस में कोई शक नहीं कि निधि के प्यार में तड़प और कसमसाहट थी. मेरे मन में चोर था और मैं दुविधा में था कि मैं इस संबंध को लंबे अरसे तक खींच पाऊंगा या नहीं, क्योंकि भविष्य के प्रति मैं आश्वस्त नहीं था.
एक साल बाद हमारे डिग्री कोर्स समाप्त हो गए. परीक्षा के बाद फिर से गरमी की छुट्टियां. मैं अपने शहर आ गया. छुट्टियों में निधि से रोज मिलना होता, लेकिन इस बार अपने घर आ कर मैं कुछ बेचैन सा रहने लगा था. पता नहीं, वह क्या चीज थी, मैं समझ ही नहीं पा रहा था. ऐसा लगता था, जैसे मेरे जीवन में किसी चीज का अभाव था. वह क्या चीज थी, लाख सोचने के बावजूद मैं समझ नहीं पा रहा था. निधि से मिलता तो कुछ पल के लिए मेरी बेचैनी दूर हो जाती, लेकिन घर आते ही लगता मैं किसी भयानक वीराने में आ फंसा हूं और वहां से निकलने का कोई रास्ता मुझे दिखाई नहीं पड़ रहा.
अचानक एक दिन मुझे अपनी बेचैनी का कारण समझ में आ गया. उस दिन मैं जल्दी घर लौटा था. मां आंगन में अमिता की मां के साथ बैठी बातें कर रही थीं. अमिता की मां को देखते ही मेरा दिल अनायास ही धड़क उठा, जैसे मैं ने बरसों पूर्व बिछड़े अपने किसी आत्मीय को देख लिया हो. मुझे तुरंत अमिता की याद आई, उस का भोला मुखड़ा याद आया. उस के चेहरे की स्निग्धता, मधुर सौंदर्य, बड़ीबड़ी मुसकराती आंखें और होंठों को दबा कर मुसकराना सभी कुछ याद आया. मेरा दिल और तेजी से धड़क उठा. मेरे पैर जैसे वहीं जकड़ कर रह गए. मैं ने कातर भाव से अमिता की मां को देखा और उन्हें नमस्कार करते हुए कहा, ‘‘चाची, आजकल आप दिखाई नहीं पड़ती हैं?’’ वास्तव में मैं पूछना चाहता था कि आजकल अमिता दिखाई नहीं पड़ती.
मुझे अपनी बेचैनी का कारण पता चल गया था, लेकिन मैं उस का निवारण नहीं कर सकता था. अमिता की मां ने कहा, ‘‘अरे, बेटा, मैं तो लगभग रोज ही आती हूं. तुम ही घर पर नहीं रहते.’’
मैं शर्मिंदा हो गया और झेंप कर दूसरी तरफ देखने लगा. मेरी मां मुसकराते हुए बोलीं, ‘‘लगता है, यह तुम्हारे बहाने अमिता के बारे में पूछ रहा है. उस से इस बार मिला कहां है?’’ मां मेरे दिल की बात समझ गई थीं.
अमिता की मां भी हंस पड़ीं, ‘‘तो सीधा बोलो न बेटा, मैं तो उस से रोज कहती हूं, लेकिन पता नहीं उसे क्या हो गया है कि कहीं जाने का नाम ही नहीं लेती. पिछले एक साल से बस पढ़ाई, सोना और कालेज… कहती है, अंतिम वर्ष है, ठीक से पढ़ाई करेगी तभी तो अच्छे नंबरों से पास होगी.’’
‘‘लेकिन अब तो परीक्षा समाप्त हो गई है,’’ मेरी मां कह रही थीं. मैं धीरेधीरे अपने कमरे की तरफ बढ़ रहा था, लेकिन उन की बातें मुझे पीछे की तरफ खींच रही थीं. दिल चाहता था कि रुक कर उन की बातें सुनूं और अमिता के बारे में जानूं, पर संकोच और लाजवश मैं आगे बढ़ता जा रहा था. कोई क्या कहेगा कि मैं अमिता के प्रति दीवाना था…
‘‘हां, परंतु अब भी वह किताबों में ही खोई रहती है,’’ अमिता की मां बता रही थीं.
आगे की बातें मैं नहीं सुन सका. मेरे मन में तड़ाक से कुछ टूट गया. मैं जानता था कि अमिता मेरे घर क्यों नहीं आ रही थी. उस दिन की मेरी बात, जब वह मेरे कमरे में मिठाई देने के बहाने आई थी, उस के दिल में उतर गई थी और आज तक उसे गांठ बांध कर रखा था. मुझे नहीं पता था कि वह इतनी जिद्दी और स्वाभिमानी लड़की है. बचपन में तो वह ऐसी नहीं थी.
अब मैं फोन पर निधि से बात करता तो खयालों में अमिता रहती, उस का मासूम और सुंदर चेहरा मेरे आगे नाचता रहता और मुझे लगता मैं निधि से नहीं अमिता से बातें कर रहा हूं. मुझे उस का इंतजार रहने लगा, लेकिन मैं जानता था कि अब अमिता मेरे घर कभी नहीं आएगी. एक साल हो गया था, आज तक वह नहीं आई तो अब क्या आएगी? उसे क्या पता कि मैं अब उस का इंतजार करने लगा था. मेरी बेबसी और बेचैनी का उसे कभी पता नहीं चल सकता था. मुझे ही कुछ करना पड़ेगा वरना एक अनवरत जलने वाली आग में मैं जल कर मिट जाऊंगा और किसी को पता भी नहीं चलेगा।

शनिवार, 16 जून 2018

रूठे प्यार को मनाने की शायरी


हो सकता है हमने आपको कभी रुला दिया,

आपने तो दुनिया के कहने पे हमें भुला दिया,

हम तो वैसे भी अकेले थे इस दुनिया में,

क्या हुआ अगर आपने एहसास दिला दिया।


नाराज क्यूँ होते हो किस बात पे हो रूठे,

अच्छा चलो ये माना तुम सच्चे हम ही झूठे,

कब तक छुपाओगे तुम हमसे हो प्यार करते,

गुस्से का है बहाना दिल में हो हम पे मरते।


हमसे कोई खता हो जाये तो माफ़ करना,

हम याद न कर पाएं तो माफ़ करना,

दिल से तो हम आपको कभी भूलते नहीं,

पर ये दिल ही रुक जाये तो माफ़ करना।


बहुत उदास है कोई शख्स तेरे जाने से,

हो सके तो लौट के आजा किसी बहाने से,

तू लाख खफा हो पर एक बार तो देख ले,

कोई बिखर गया है तेरे रूठ जाने से।


🔥 ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी 🔥

एक दिल छू लेने वाली- लव शायरी


1. इश्क़ में हर लम्हा ख़ुशी का एहसास बन जाता है,

दीदार-ए-यार भी खुदा का दीदार बन जाता है,

जब होता है नशा मोहब्बत का,

तो अक्सर आईना भी ख्वाब बन जाता है।

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2. सीने में दिल तो हर एक के होता है,

लेकिन हर एक दिल में प्यार नहीं होता,

प्यार करने के लिए तो दिल होता है,

दिल में छुपाने के लिए प्यार नहीं होता।


3. लाख बंदिशें लगा दे यह दुनिया हम पर,

मगर दिल पर काबू हम कर नहीं पायेंगे,

वो लम्हा आखिरी होगा हमारी ज़िन्दगी का,

जिस पल हम तुझे इस दिल से भूल जायेंगे।

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4. कुछ लोग खोने को प्यार कहते हैं,

तो कुछ पाने को प्यार कहते हैं,

पर हकीक़त तो ये है,

हम तो बस निभाने को प्यार कहते है।


5. हज़ार ज़रूरतें मेरी सिर्फ़ कहने के लिए,

मुझे सिर्फ़ तू चाहिए ज़िंदा रहने के लिए।

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6. मेरी अधूरी ख्वाईश.बन कर न रह जाना तुम,

दोबारा जीने का इरादा नहीं रखते है हम।

शुक्रवार, 15 जून 2018

यदि S नाम के लोग आप के करीबी है तो यह खबर आपके लिए।

इस लम्बी चौड़ी दुनिया में वैसे तो कई प्रकार के लोग है जिनके बारे में मालूम करना हमारे लिए कोई जरूरी नही है. लेकिन हमारे आसपास रहने वाले लोगों के स्वभाव, तौर तरीके के बारे में पता होना भी हमारे लिए बेहद जरूरी है.चाहे वह हमारे रिलेशन में हो या फिर हमारे आसपास काम करने वाले लोग अगर हम किसी भी तरह से इनके स्वभाव और तौर-तरीके के बारे में वाकिफ हो जाते है तो हमारे और आपके लिए सामने वाले लोगों को समझना बेहद ही आसान हो जाएगा

स्वभाव – S अक्षर से शुरू होने वाले जातकों का स्वभाव बेहद ही बातूनी अंदाज का होता है. ऐसे जातकों के लोगों को खूब सारी बाते करना बेहद ही प्रिय है। लेकिन ये लोग अपनी बात स्पष्ट रूप से कह नही पाते है। इस कारण इनकों कई आलोचनाओं से गुजरना भी पड़ता है. इनके मन ही मन में क्या पक रहा है किसी को भी भनक तक नही लगने देते है. और अपने किसी भी कार्य को एक अलग ही अन्दाज में करना पसन्द भी करते है. अपनी बुद्धिमानी से किसी भी समस्याएं को जल्द ही सुलझा लेते है. इनके दिमाग के साथ साथ इनके आंख, कान, नाक सभी चीजे साथ चलती है. भले ही ये जातक एक ही जगह बैठ जाए, लेकिन खबर चारों तरफ की रखते है.ये अपने आपको किसी से भी कम नहीं समझते है।

करियर- अक्षर जातको के लोगों के जीवन में राज योग होता है. ये बेहद ही वफादार और सुलझे हुए लोग होते है और किसी से अपना काम कैसे निकलवाया जाए, ये बखूबी जानते है. अपने कैरियर के प्रति ये खूब चिंतित भी रहते है. जिस भी क्षेत्र में अपना करियर चुनते है. वहां इनको अपार सफलता प्राप्त होती है. अगर एक बार ये सफलता की सीढी पर कदम रख देते है तो इनको मंजिल हासिल करने से कोई भी नही रोक सकता है.उस क्षेत्र में अपने मालिक के प्रति वफादार होते है। S नाम के लोग अपना काम पुरे दिल से करते है।

प्यार- प्यार के मामलें में ये लोग थोड़े से स्वार्थी होते है. ये लोग जीवन भर अपने प्यार को खुद के पास ही रखना चाहते है. इन्हे ये बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीम है कि कोई और इनके प्यार की तरफ देंखे. इस कारण इनका मिज़ाज थोड़ा शक्की होता है. इसके पीछे इनकी भावना सिर्फ ये होती है कि ये अपने प्यार को किसी से शेयर नही करना चाहते है. इनका ये तरीका दूसरे व्यक्ति के लिए सिरदर्द का कारण बन जाता है.ये लोग अपने प्यार के लिए किसी भी हद तक जा सकते है।

S जातकों के लोगों में वैसे कई सारे गुण भी पाये जाते है जो उनको सबसे अलग बनाते है. तो आपकों उनके गुण भी बताते है जो आपके लिए काफी फलदायी साबित हो सकता है।

पहला गुण- इन लोगों के मित्र यानि कि दोस्त कैसे बनाये जाते है इस कला का इनकों काफी ज्ञान होता है. और अपने इस गुण के कारण इनके दोस्तों की लिस्ट लम्बी होती है.हंसमुख होने के साथ दुसरों से किस प्रकार लाभ उठाया जाये, इन्हें अच्छी तरह से आता है ये लोग उनको ही अपना दोस्त बनाते जो इनके बारे में अच्छे से जानता हो।

दुसरा गुण- ऐसे लोग अपनी चीजों को किसी भी लोगों से शेयर करना पसन्द नही करते है. पैसा, रूतबा हासिल करने वाले ये लोग अपनी चीज आसानी से किसी को नही देते है. ये कंजूस होते है. और दिखावा भी काफी पसन्द करते है. वैसे ये दिल के बुरे नही होते है लेकिन इनका तेज तरार्र स्वभाव इनकों बुरा बना देता है.इस कारण लोग इनको बुरा भी बोलते है।

तीसरा गुण- ये लोग अपने आस-पास हो रही गतिविधियों की जानकारी भी रखते है. इनके जीवन में कई बार ऐसी स्थितियां आ जाती है. जब ये लोग कोई फैसला नहीं ले पाते है. ऐसे में इन्हें परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है कई बार कुछ अलग करने के चक्कर में ये लोगे कुछ गलत फैसले भी ले लेते है. लेकिन कुछ भी स्थिति हो ये अपने दोस्तों के प्रति वफादार होते है।

चौथा गुण- इनके मिलने- जुलने वालों का दायरा बेहद ही बड़ा होता है. ये तीव्र बुद्धि वाले तथा समझदार होते है. ये प्यार और नफरत दोनों ही बड़ी सादगी से निभाते है. इन्हें निर्णय लेने में वक्त लगता है.ये बिना कुछ सोचे ही कोई भी निर्णय ले लेते है,फिर जाहे को निर्णय कौन सा भी हो।

तो दोस्तों S अक्षर वाले लोगों के जीवन की छुपी बातों को हमनें बताया जिससे आप अपने आस-पास और दोस्तों को समझने में आसानी मिलेगी।

रविवार, 3 जून 2018

प्यार वह भावना है जो हमें अपने अन्दर इंसानियत का एहसास करवाती है।

💘प्यार वह भावना है जो हमें अपने अन्दर इंसानियत का एहसास करवाती है।

💝प्यार, दुनिया की सबसे खुबसूरत चीज है जिसे देखा नही जा सकता और ना ही छुआ जा सकता है बल्कि सिर्फ इसे दिल में महसूस किया जा सकता है। 

 

💗 💙 💚 💛 💜 💟 💜 💛 💚 💙 💗

सुनो...📢📣 !!
❤️पहली बार जब चूमा था…
तुम्हारे होठों ने मेरे गालों को…
मुलायमता किसे कहते है…
तब समझ आया था…
इस ☺ अनपढ़ को...!!

💕💕 करके नीयत तेरे होंठों की हमनें...
एक खिलता हुआ गुलाब चूम लिया।💕💕

✦❥⚜︎❥✦♥️💔♥️✦❥⚜︎❥✦
मोहब्बत दुख तो देती हैं
मगर एक बात कहनी हैं
के जिस को चाहा जाता हैं
जरूरी ये नहीं होता कि
उसको पा लिया जाए
कभी उसके बिछड़ने से
मोहब्बत कम नहीं होती।
✦❥⚜︎❥✦♥️💔♥️✦❥⚜︎❥✦

कितनी बार हो सकता है आपको सच्चा प्यार जाने अपने नाम के पहले अक्षर के अनुसार

दोस्तों प्यार इंसान को भगवान के द्वारा दिया गया एक अमूल्य वरदान है तथा माना जाता है कि सच्चा प्यार सिर्फ एक बार होता है, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इंसान के भाग्य में सच्चा प्यार उसके व्यवहार पर निर्भर करता हैI हर किसी इंसान का एक व्यक्तित्व और उसका व्यवहार होता है जिसके चलते हुए लोग उससे प्यार और नफरत करते हैंI


आज हम इस आर्टिकल में आपको ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बताएंगे कि आपके नाम के पहले अक्षर के अनुसार आपको अपने जीवन में कितनी बार प्यार होगा जिन लोगों के नाम का पहला अक्षर K,M,P है उनको अपने जीवन में तीन बार प्यार होता है तथा यह अपने जीवन में काफी दिक्कत परेशानियों का सामना करते हैं अपने पार्टनर को खुश रखने के चक्कर में यह दुख परेशानियों को झेलते हैंI


जिन लोगों के नाम का पहला अक्षर D,S,A,I से शुरू होता है उनको जिंदगी में एक ही बार सच्चा प्यार मिलता है तथा यह जिंदगी भर उन्हीं के साथ समय बिताते हैं तथा यह अपने जीवन में सदा ही प्रसन्न रहते हैंI खुशियां उनके कदम चूमती है और यह काफी लकी साबित होते हैंI