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मंगलवार, 16 जुलाई 2019

इंसान जाने कहां खो गए हैं।


कोई दीवाना कहता है!


ज़िंदगी


कोई तुमसे पूछे कौन हूं मैं?


फोन कर लेना मुझे तुम


सोमवार, 8 अप्रैल 2019

रूठने पर भी जो ना रूठे

रूठने पर भी जो ना रूठे,
वो बात हो तुम…

छूटने पर भी जो ना छूटे,
वो साथ हो तुम…

यूँ तो संजोयी है,
यादें मैंने दिलों में कई,
लेकिन…

जो भूले से भी ना भुलाई जा सके,
वो याद हो तुम।

बुधवार, 3 अप्रैल 2019

कभी तन्हाइयां होंगी।

कभी तन्हाईयां होंगी ,
कभी रुसबाइयां होंगी…

चलोगे जिस डगर पर तुम,
उस पर मेरी परछाइयां होंगी…

बसे हो जब निगाहों में,
तो फिर ये दूरियां क्या हैं…

मेरे ख़्वाबों की दुनियां,
ये तेरी रानाइयां होंगी…

छुपा है चाँद बदली में ,
ये मदहोशी का आलम है…

सर-ए-आईना तूने फिर से,
ली अंगड़ाइयां होंगी…

गुज़र जायेंगी ये फुरकत की रातें वस्ल भी होगा नये नग़मे सुनाती बज रही शहनाइयां होंगी।