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गुरुवार, 9 जून 2022

गज़ल

करूँ प्यार मैं भी,करो प्यार तुम भी।
मिलनसार मैं भी,मिलनसार तुम भी।।

मुहब्बत किसी की,न कम है न ज्यादा,
बराबर मेरे साथ हकदार तुम भी।

लगी आस मिलने की दिल में बराबर,
न मैं ही अकेले, तलबगार तुम भी।

मुझी पर लगाते रहे जुल्म सारे,
नहीं सिर्फ मैं ही, गुनहगार तुम भी।

चलो हम मनाते तुम्ही मान जाओ,
न करना कभी अब तो तकरार तुम भी।

चलेगी न जीवन की नैया अकेले,
मददगार मैं भी, मददगार तुम भी।

खता मानने हम न तैयार दोनो,
समझदार मैं भी,समझदार तुम भी।

सजा के लिये सामने कौन होगा,
खतावार मैं भी,खतावार तुम भी।

न हैं "सचिन" कमजोर इक दूसरे से,
असरदार मैं भी, असरदार तुम भी।

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